Tantra Result

समस्त तंत्रों में सर्वाधिक घातक तन्त्र शरभ तन्त्र कहलाता है I जब हिरण्यकश्यप का वध करने के उपरान्त भी भगवान नृसिंह का क्रोध शांत नहीं हुआ और तीनों लोकों को खाने को उद्यत हुए तब समस्त देवों के द्वारा प्रार्थना किये जाने पर भगवान शिव नें एक विचित्र पक्षी का रूप धारण किया जिसका मुह उल्लू की तरह, नेत्र में अग्नि, सूर्य एवं चन्द्र का वास था I दो पंखों में जिनके दुर्गा और काली का वास था I कमर के बाद का हिस्सा हिरण की तरह एवं पूंछ शेर की तरह थी I जिनके पेट में व्याधि एवं मृत्यु का वास था ऐसे शरभ रूप पक्षी राज नें नृसिंह भगवान को चोंच मारकर मूर्छित कर दिया I अपने हाथों से उनको पकड़कर आकाश की तरफ उड़ चले I इनको शास्त्रों में आकाश भैरव भी कहा गया है I इस गारुडी विद्या को गुप्त रखना चाहिए I
इस साधना की विशेष विधियां आकाश भैरव कल्प, शरभार्चापारिजात, आशुगरुड़ इत्यादि तन्त्र ग्रंथों में दी गयी हैं I कृष्णपक्ष की अष्टमी से लेकर चतुर्दशी तक इसकी साधना श्रेष्ठ मानी गयी है I
विनियोग : ॐ अस्य मन्त्रस्य श्रीवासुदेव ऋषि: जगतीछन्द:, कालाग्निरूद्र शरभ देवता, खं बीजं, स्वाहा शक्ति:, मम सर्वशत्रु क्षयार्थे सर्वोपद्रव शमनार्थे जपे विनियोग: I

  II ध्यानम् II
विद्युज्जिह्वं वज्र नखं वडवाग्न्युदरं तथा
व्याधिमृत्युरिपुघ्नं चण्डवाताति वेगिनम् I
हृद् भैरव स्वरूपं च वैरिवृन्द निषूदनं
मृगेन्द्रत्वक्- छरीरेSस्य पक्षाभ्यां चञ्चुनारव: I
अघोवक्त्रश्चतुष्पाद उर्ध्व दृष्टिश्चतुर्भुज:
कालान्त- दहन- प्रख्यो नीलजीमूत- नि:स्वन: I
अरिर्यद् दर्शनादेव विनष्टबलविक्रम:
सटाक्षिप्त गृहर्क्षाय पक्षविक्षिप्त- भूभृते I
अष्टपादाय रुद्राय नमः शरभमूर्तये II

मन्त्र : ॐ खें खां खं फट् प्राणग्रहासि प्राणग्रहासि हुं फट् सर्वशत्रु संहारणाय शरभशालुवाय पक्षिराजाय हुं फट् स्वाहा

इस मन्त्र को छ: महीने तक प्रतिदिन दस मालाओं का जाप करके एक माला के द्वारा अर्थात 108 आहुतियों से नित्यप्रति हवन करें, इससे इस मन्त्र का एक पुरश्चरण हो जाता है और इस प्रकार के 18 पुरश्चरण करने पर मन्त्र सिद्ध होने लगता है I

इस शरभ तन्त्र के अनेक मन्त्र हैं, अनेक प्रयोग हैं I संसार में रोग निवारण से लेकर शत्रु को नष्ट करने तक, समृद्धिवान बनने तक सभी कार्य इसके द्वारा संभव हैं I वास्तव में यह स्वयं में महातंत्र है I

जैसे शत्रु नाश के लिए शत्रु के पैरों की मिट्टी से पुतला बनाकर, प्राणप्रतिष्ठा करके आँक या धतूरे की जड़ में दबा करके उसके सामने बैठकर यदि इस मन्त्र का 125000 जाप किया जाए तो उस पुतले के साथ जो किया जाए शत्रु को वैसे ही पीड़ा प्राप्त होती है I यदि उस पुतले को शमशान के अंगारे से तपा दिया जाएं तो शत्रु को कभी न ठीक होने वाला बुखार हो जाता है और यदि पिघले हुए लाख से उसको लपेटकर यदि उसे आँक की लकड़ियों में जला दिया जाए तो तीन दिन में शत्रु नष्ट हो जाता है I

1.    आकर्षण के लिए क्लीं बीज से संपुटित करके इस मन्त्र का जाप करना चाहिए I

2.    शत्रुओं के मध्य झगडे कराने के लिए मन्त्र के दोनों तरफ रूद्र बीज "क्षौं" या "हौं" लगा करके जाप करना चाहिए I

3.    शत्रुओं के उच्चाटन के लिए मन्त्र के दोनों तरफ वायु बीज "यं" या "हं" लगा करके जाप करना चाहिए I

4.    मोक्ष प्राप्ति के लिए "ऐं" बीज व "चिंतामणि बीजमन्त्र" से पुटित करके जाप करें I

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26 अगस्त 2018 आज श्रावण महीने के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि, धनिष्ठा नक्षत्र, अतिगंड योग, बव करण और दिन रविवार है । आज श्रावण पूर्णिमा, गायत्री जयंती, हयग्रीव जयंती, ऋषि तर्पण एवं रक्षाबंधन (राखी) है I आज श्रावण पूर्णिमा  और रक्षा बन्धन है रक्षाबंधन का श्रेष्ठतम मुहूर्त रक्षा बन्धन अनुष्ठान का समय = 06:02 to 17:25 Duration = 11 Hours 23 Mins रक्षा बन्धन के लिये अपराह्न का मुहूर्त = 13:41 to 16:15 Duration = 2 Hours 33 Mins आज के दिन पंचामृत (सब अलग-अलग) दूध, दही, घी, शहद, शक्कर से भगवान् शिव का अभिषेक करें उसके बाद शुद्ध जल से स्नान करायें फिर 5 अलग-अलग फल अर्पित करके 108 बार “ॐ नमः शिवाय” मन्त्र का जाप करें इससे श्रावण मॉस में किये गए रोज के अभिषेक, पूजा आदि का पूर्ण फल आपको प्राप्त होगा और भगवान् भोलेनाथ की कृपा आप पर श्रावण मास के वर्षाजल की भांति बरसेगी I आज रक्षाबंधन है, भगवान् भोलेनाथ को राखी समर्पित करें I मधुसूदन परिवार की ओर से हम ये दुआ करते हैं की आपको बताई गयी रोज की पूजा विधि से भगवान् भोलेनाथ की कृपा आने वाले अगले श्रावण मास तक आप पर बनी रहे और आपको जीवन में सुख- समृद्धि, बरकत, उत्तम स्वास्थ्य और सौभाग्य की प्राप्ति हो I ...

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आपके आज को श्रेष्ठ बनाने की पूजा विधि

15 अगस्त 2018 आज श्रावण महीने के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि, हस्त नक्षत्र, साध्य योग, बव करण और दिन बुधवार है । आज नाग पंचमी, सर्वार्थ सिद्ध योग एवं भारत स्वतंत्रता दिवस (72वां) है I आज नाग पंचमी है I आज के दिन शुद्ध आटे के नाग- नागिन बनाकर दूध, दूर्वा, कुशा, पुष्प, अक्षत (चावल), शक्कर, मीठा चढ़ाकर भगवान् शिव पर अर्पित करें और सर्पसूत्र का पाठ करें I यदि किसी कारण सर्पसूत्र का पाठ न कर सकें तो इस मन्त्र का जाप अवश्य करें I “ॐ कपिला कालियोSनन्तो वासुकिः तक्षकः तथा I पंचैतान् स्मरतो नित्यं विषबाधा न जायते” II ऐसा करने से आपके प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष शत्रुओं का नाश होगा I ...

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